मानसिक स्वास्थ्य पर इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) का क्या असर पड़ता हैं?

आज के समय में चयापचय (मेटाबॉलिक) को बढ़ाने के लिए आपको हर 2 से 3 घंटे में कुछ न कुछ खाना खाने की सलाह दी जाती हैं।लेकिन ऐसा करने से चयापचय बढ़ता हैं या नहीं वह तो नहीं पता लेकिन ऐसा बार-बार खाने से दिन भर की कैलोरी जरूर बढ़ जाएगी।आपको हर कुछ घंटों में कुछ न कुछ खाना चाहिए।

ऐसे में अधिक भोजन आपके शरीर में विशेष रूप से अंग के आसपास ज्यादा चर्बी का निर्माण करता हैं। यह आपको चयापचय चिंता की तरफ ले जाता हैं और यह मधुसूदनी (इंसुलिन) प्रतिरोध को भी बढ़ावा देता हैं।ऐसे में  उपवास एक इंसान के पूरे स्वास्थ्य में सुधार करता हैं।आप जब भोजना खाना बंद कर देते हैं,तो 12 घंटे से 36 घंटे तक कार्बोहाइड्रेट फ्यूल होता हैं।ऐसे में आपका शरीर ऊर्जा के स्रोत के लिए चर्बी बनाता हैं इसे चयापचय स्विच कहा जाता हैं।यही वजह हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग या उपवास के दौरान आपको अनुशंसित16 घंटे के उपवास की सलाह दी जाती हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार उन्होंने एक चूहे को उपवास जैसी स्थिति में रखा और यह देखा कि उसके वज़न में कुछ कमी आई हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब यह हैं कि,उपवास करना जो हजारों वर्षों से चला आ रहा हैं या आप ऐसा भी कह सकते हैं कि सुबह का नाश्ता स्किप करना और इसके बाद में दुपहर का खाना पेट भर कर खाना।

आप इसे ऐसा भी कह सकते हैं,भूखे रहने के समय को फ़ेमाइन फ़ेज़ और खूब खाने के समय को फ़ीस्टिंग फ़ेज़।आप फ़ेमाइन फ़ेज़ के दौरान हफ़्ते में एक दिन 24 घंटे के लिए भूखे रह सकते हैं या हफ़्ते में 4 दिन उपवास लगातार नहीं कर सकते हैं।ऐसे में फ़ीस्टिंग फ़ेज़ में आप अपनी पसंदीदा चीज़ें खा सकते हैं।

ऐसा आप हफ़्ते में एक दो दिन के लिए अपने आपको नियंत्रित कर सकते हैं और बाकी दिन जितना मन करे उतना अच्छे से आप खा सकते हैं।

आपको अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग के फ़ायदे के बारे में बताया जाए तो मधुसूदनी सेंसिटिविटी जो सबसे ऊपर होगा।ऐसे में खोज के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि उपवास आपके शरीर को मधुसूदनी की तरफ़ ज़्यादा संवेदनशील बनाता हैं।मधुसूदनी वह हार्मोन हैं जो आपके शरीर की कोशिकाओं को खून से ग्लूकोज़ लेने में मदद करता हैं।इसका मतलब यह हैं कि उपवास के बाद आपका शरीर बेहतर तरीके से ग्लूकोज़ को सुखा देता हैं और इस तरह ब्लड में ग्लूकोज़ लेवल कम हो जाता हैं।ऐसे में डाइबिटीज़ और उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्याओं का जोखिम भी कम किया जा सकता हैं।

इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ता हैं। 

अब आपको बताते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या फायदे हैं।

आंतरायिक उपवास करने वाले लोगों में कई लोग ऐसे हैं वजन को कम करने के लिए ऐसा कहते हैं और रुक-रुक कर उपवास करने से आप कम भोजन करते हैं।

जब कभी आप अन्य भोजन के दौरान अधिक खाना नहीं खाते हैं तब तक आप कम कैलोरी ले लेते हैं ।

इसके अलावा आंतरायिक उपवास आपकी वजन घटाने की सुविधा के लिए हार्मोन के कार्य को बढ़ाती हैं।

मधुसूदनी का स्तर कम होता हैं,एचजीएच का स्तर और नॉरपेनेफ्रिन की बढ़ी हुई मात्रा आपके पूरे शरीर में वसा के टूटने को बढ़ाते हैं।

आपके दिमाग के लिए फायदेमंद 

जो आपके शरीर के लिए अच्छा होता हैं वह अक्सर मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता हैं।

आंतरायिक उपवास को कम करने में सहायता करता हैं चूहों के एक अध्ययनों से पता चला हैं कि आंतरायिक उपवास से हि नई कोशिकाओं के विकास को बढ़ाया जा सकता हैं,जिससे मस्तिष्क के कार्य में लाभ होना चाहिए।

आंतरायिक उपवास से मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण लाभ हो सकता हैं।ये नए न्यूरॉन्स की वृद्धि को बढ़ा सकता हैं और मस्तिष्क को नुकसान से भी बचाया जा सकता हैं।

कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप

आंतरायिक उपवास एलडीएल और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार लाने में सहायक हैं।शोधाओ के अनुसार यह  पता चला हैं कि यह रक्तचाप और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता हैं।यह उपाय तरह तरह के रोगों के जोखिम को रोकने और कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और विशेष रूप से हृदय रोग।

 सूजन

आंतरायिक उपवास करने से शरीर कि सूजन को कम किया जा सकता हैं।यह दिखाया गया हैं कि आंतरायिक उपवास एडिपोनेक्टिन में वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता हैं,जो आपकि सूजन पैदा करने वाले मोनोसाइट्स को रोककर सूजन को कम करने में आपकी सहायता कर सकता हैं।

आइए जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या नुकसान हैं।

सिरदर्द और चक्कर आना

  • सिरदर्द आंतरायिक उपवास का एक दुष्प्रभाव हैं। वे आम तौर पर उपवास मसविदा बनाने (प्रोटोकॉल) के  कुछ दिनों पहले होता हैं।
  • साइड इफेक्ट की सूचना देने वाले चार अध्ययनों के मुताबिक कुछ प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें हल्का सिरदर्द रहता हैं।
  • शोधकर्ताओं ने यह भी बताया  हैं कि उपवास में सिरदर्द मस्तिष्क के ललाट क्षेत्र में स्थित होता हैं और दर्द हल्का रहता हैं।
  • ऐसे में जिन लोगों को सिरदर्द होता हैं,उन्हें उपवास के दौरान सिरदर्द होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होता हैं।

पाचन से संबंधी समस्याएं

कब्ज,दस्त और सूजन सहित पाचन संबंधी समस्याएं हैं  ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई देते हैं तो आप अनुभव कर सकते हैं कि आप रुक-रुक कर उपवास करते हैं।

आंतरायिक उपवास के नियमों के अनुसार आने वाले भोजन के सेवन में कमी आपके पाचन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं,जिससे आपको कब्ज और अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।इसके साथ ही आंतरायिक उपवास के कार्यक्रमों से जुड़े आहार में परिवर्तन से सूजन और दस्त हो सकते हैं।

आपका आहार अगर फाइबर से भरपूर पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थों का चयन आपके कब्ज को रोकने में सहायता करता हैं।

चिड़चिड़ापन महसूस करना

इंटरमिटेंट फास्टिंग करने पर कुछ लोगों को चिड़चिड़ापन महसूस होता हैं।जिसके कारण आपका ब्लड शुगर कम हो जाता हैं और इससे आपको जलन होने लगती हैं। 

महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में बताया गया हैं कि 18 घंटे के उपवास की अवधि के दौरान प्रतिभागी गैर-उपवास अवधि की तुलना में अधिक चिड़चिड़े थे।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि, महिलाएं अधिक चिड़चिड़ी थीं।उन्होंने उपवास की अंत में उपवास की शुरुआत की तुलना में उपलब्धि, गर्व और आत्म-नियंत्रण की भावना का अनुभव किया गया हैं।

थकान महसूस करना

अध्ययनों से ऐसा पता चला हैं कि कुछ लोग आंतरायिक उपवास के अलग-अलग तरीकों का अभ्यास करने से थकान महसूस करते हैं।

आपको आंतरिक उपवास से संबंधित लो ब्लड शुगर के कारण थकान और कमजोरी महसूस हो सकती हैं। उसके साथ ही कुछ लोगों की नींद में खलल पड़ सकता हैं जिससे दिन में आपको थकान महसूस हो सकती हैं।

वास्तव में आंतरायिक उपवास थकान को कम कर सकता हैं,जब आपका शरीर नियमित उपवास अवधि के लिए अनुकूलित हो जाता हैं।

नींद न आना

शोध में ऐसा बताया गया हैं कि नींद न आना या सोते रहना यह आंतरायिक उपवास से संबंधित सबसे आम दुष्प्रभावों में से एक हैं। 

आंतरायिक उपवास के शुरुआत के दिनों में थकान हो सकती हैं क्योंकि आपका शरीर बड़ी मात्रा में नमक और पानी का उत्सर्जन करता हैं।जिससे निर्जलीकरण और कम नमक का स्तर भी हो सकता हैं। 

लेकिन अन्य अध्ययनों से ऐसा पता चला हैं कि आंतरायिक उपवास से संबंधित नींद पर कोई असर नहीं पड़ता हैं।

अश्वगंधा के फायदे!

आयुर्वेद के अनुसार उपचार के लिए अश्वगंधा का उपयोग आज से ही नहीं बल्कि कई वर्षों से ही किया जा रहा हैं।यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण  औषधि हैं।ऐसे में बीते कई हजारों वर्ष अश्वगंधा का उपयोग कई गंभीर बीमारियों के लिए किया जा रहा हैं।आयुर्वेद के विशेषज्ञों के मुताबिक अश्वगंधा के बारे में बताते हुए कई ऐसी जानकारियां दी गई हैं जिसका पता शायद ही किसी को हो।अश्वगंधा का इस्तेमाल कई सारी शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता हैं।अश्वगंधा में सेहत के लिए ऐसे कई छोटे-बड़े गुण होते हैं,जो कि समयानुसार आपको काम आते हैं।

देश विदेश में अश्वगंधा के कई प्रकार होते हैं।लेकिन अश्वगंधा की पहचान करने के लिए आपको इसके पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती हैं।इसकी ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती हैं।जंगल में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्‍यम से उगाए जाने वाले अश्वगंधा के गुण अच्‍छे होते हैं।तेल निकालने के लिए अश्वगंधा का पौधा ही अच्‍छा माना जाता हैं। 

अब आपको अश्वगंधा के और भी बहुत से गुणों के बारे में बताते हैं जिसके बारे में आपको अभी तक जानकारी नहीं हैं।

 

 तनाव को कम करने में मददगार

आजकल की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग तनाव जैसी समस्या से लगातार जूझ रहे हैं।ऐसे में आपके जीवन में तनाव के कई कारण हो सकते हैं। आपको अगर तनाव, चिंता, मानसिक समस्या हैं तो अश्वगंधा का सेवन आपके तनाव को कम करने में आपकी सहायता करता हैं।अश्वगंधा में मौजूद औषधीय गुण तनाव को दूर करने में आपकी सहायता करते हैं।अश्वगंधा में एंटी-स्ट्रेस गुण होता हैं जो आपको तनाव से भी राहत दिलाता हैं।

नींद ना आने की समस्या को दूर करता हैं।

आप यदि रात में सोते समय बिस्तर पर करवट बदलते रहते हैं तो इसका मतलब यह हैं कि आपको अच्छी नींद नहीं आती हैं।ऐसे में अश्वगंधा का सेवन इस समस्या के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता हैं।एक अध्ययन के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि अश्वगंधा की पत्तियों में ट्राइथिलीन ग्लाइकोल नाम का यौगिक मौजूद होता हैं,जो पर्याप्त और सुकून भरी नींद लेने में सहयोग करता हैं।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित हो सकता हैं।

अश्वगंधा का सेवन करने से दिल से संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता हैं क्योंकि इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में आपकी सहायता करते हैं।इसका सेवन करने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और बेड कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कम करता हैं।

डायबिटीज के खतरे को कम करता हैं।

आज लोग डायबिटीज से धीरे-धीरे ग्रसित हो रहे हैं।यह एक ऐसी बीमारी हैं इसका इलाज सिर्फ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी से ही संभव हो सकता हैं।अश्वगंधा का सेवन करने से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता हैं।

लिवर रोगों से करें बचाव

अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण लिवर में होने वाली सूजन की समस्या दूर करने में मददगार साबित होता हैं।यह आपकी सूजन को कम करता हैं। आप अगर रात में सोने से पहले दूध के साथ इसका सेवन करते हैं तो काफी फायदेमंद होगा।यह फैटी लिवर की समस्या को भी दूर करता हैं।इसका सेवन करने से लिवर हानिकारक टॉक्सिन्स के बुरे असर से बचता हैं और लिवर को डिटॉक्स भी करता हैं।

कैंसर से करें बचाव।

अश्वगंधा का इस्तेमाल कई सारी बीमारियों के लिए किया जाता हैं।इसमें खतरनाक और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी शामिल हैं।अश्वगंधा का सेवन करने से घातक बीमारीयों से भी बचा जा सकता हैं। इसमें मौजूद एंटी-ट्यूमर गुण वैकल्पिक उपचार के लिए बहुत अच्छा माना गया हैं।

अश्वगंधा आपके दिमाग की मेमोरी किभी सहायता करता हैं।

एक अध्ययनों से ऐसा पता चलता हैं कि अश्वगंधा, किसी चोट या बीमारी से होने वाली याद्श्क्ती और दिमाग की समस्याओं को सही करने में आपकी काफी सहायता करता हैं।ऐसे में बहुत से शोधों से यह भी पता चला हैं कि यह एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को बढ़ावा देता हैं जो तंत्रिका कोशिकाओं को हानिकारक मुक्त कणों से भी बचाता हैं।50 वयस्कों पर आठ सप्ताह तक किये गए एक अध्ययन से ऐसा पता चला हैं कि 300 मिली ग्राम अश्वगंधा की जड़ का अर्क दिन में दो बार लेने से सामान्य याददाश्त कार्य प्रदर्शन और ध्यान में भी सुधार पाया गया हैं।

रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिए अश्वगंधा का सेवन करें।

आपके शरीर के रोग प्रतिरोधक कि क्षमता बेहतर नहीं होगी,तो ऐसे में बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता हैं।वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक,अश्वगंधा के उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आ सकता हैं। अश्वगंधा में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव आपके शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव कर सकता हैं, जिसे रोगों से लड़ने में सहायता मिलती हैं।इसलिए, ऐसा माना जाता हैं कि अश्वगंधा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता हैं।

त्वचा की समस्या के लिए

श्रृंगीयता के कारण आपकी त्वचा सख्त और रूखी हो जाती है।अश्वगंधा का उपयोग श्रृंगीयता के इलाज में किया जाता हैं।इसकी समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिन में दो बार पानी के साथ तीन ग्राम अश्वगंधा लें। त्वचा को मूलायम रखने के लिए यह कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देता हैं और प्राकृतिक त्वचा तेलों की वृद्धि में मदद करता हैं।अश्वगंधा में  कुछ स्तर के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो झुर्रियों,काले धब्बे जैसे उम्र बढ़ने के संकेतों से लड़ने में आपकी सहायता करते हैं। 

बालों के लिए

अश्वगंधा आपके शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके बालों के गिरने को नियंत्रित रखते हैं।अश्वगंधा बालों में मेलेनिन की हानि को रोक कर समय से पहले ही बालों के ग्रे होने को रोकता हैं।अश्वगंधा में टाइयरोसीन हैं,जो एमिनो एसिड हैं और वो आपके शरीर में मेलेनिन के उत्पादन को उत्तेजित भी करता हैं।

अश्वगंधा से बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं।अश्वगंधा और नारियल के तेल से बनाया गया तेल जो रोज़ बालों पर लगाने से बाल नहीं झड़ते हैं। 

अश्वगंधा को गिलोय में मिलाकर लगाने से भी हड्डियों को सहारा मिलता हैं।बालों को संभालने के लिए और इससे बाल भी मज़बूत होते हैं।

कम नींद मिलने पर तनाव पैदा होता हैं।कम सोने से तनाव और चिंता भी बढ़ती हैं और जिससे ज़्यादा बाल झड़ते हैं।ऐसा कहते हैं कि अश्वगंधा से अच्छी नींद आती हैं और वो चिंता को कम करता हैं और बाल झड़ने का मुख्य कारण यह भी हैं कि काफी लंबे समय से चला आ रहा यह तनाव से ग्रस्त वयस्कों का अध्ययन करने पर पता चला हैं कि अश्वगंधा लेने से अनिद्रा और चिंता कम होती हैं।

आंखों की बीमारी के लिए अश्वगंधा

आंखों से जुड़ी बीमारियों का शिकार आज हर कोई बन रहा हैं जैसे मोतियाबिंद कि यह बीमारी के मामले बढ़ते हि जा रहें हैं।ऐसे में कई लोग मोतियाबिंद से अंंधे तक हो गए हैं।वैज्ञानिकों ने अश्वगंधा को लेकर शोध किया हैं कि उनके अनुसार,अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद से लड़ने में आपकी मदद करते हैं। अध्ययन में ऐसा पाया गया हैं कि अश्वगंधा मोतियाबिंद के खिलाफ प्रभावशाली तरीके से काम कर सकता हैं। यह मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक लाभकारी भी हो सकता हैं।अश्वगंधा का इस्तेमाल आपकी आंखो की रोशनी को बढ़ाने का काम करता है। इसे रोज दूध के साथ लेंने से आंखो के साथ साथ स्ट्रेस से भी बचा जा सकता हैं।

गर्दन के दर्द के राहत के लिए क्या करें?

गर्दन में दर्द होना एक आम समस्या हैं और यह किसी भी व्यक्ति को हों सकती हैं।वैसे आम तौर पर ये किसी खराब मुद्रा के कारण गर्दन की मांसपेशियों में तनाव पैदा हो सकता हैं।उदाहरण के लिए कंप्यूटर पर काम करते समय स्क्रीन की तरफ झुकना हो,या मोबाइल में अधिक देर तक झुक कर देखना हो,सोते समय ज़्यादा ऊंचा तकिया इस्तेमाल करना आदि।वैसे कुछ मेडिकल कारणों से भी गर्दन में दर्द हो सकता हैं।

गर्दन के दर्द को क्या कहते हैं? 

गर्दन के दर्द को सर्वाइकलगिया कहते हैं, इससे लोगों कि गर्दन में अकड़न महसूस होती हैं।वैसे आमतौर पर यह समस्या थोड़ी देर आराम करने या फिर व्ययाम करने से ठीक हो जाती हैं,लेकिन ऐसे में कई बार यह लंबे समय तक रह सकती हैं।

ऐसे में ज्यादातर मामलों में गर्दन का दर्द कोई गंभीर चिकित्सीय स्थिति में नहीं  होता हैं।लेकिन कुछ ही दिनों में इससे राहत मिलने लगती हैं।ऐसे कुछ मामलों में, गर्दन का दर्द एक गंभीर चोट या बीमारी का संकेत हो सकता हैं,जिसमें आपको डॉक्टर कि देखभाल की जरूरत होती हैं। 

आपने अगर वक्त रहते इसका इलाज नहीं कराया तो सर्वाइकल पेन भी हो सकता हैं और अगर आपको एक बार सर्वाइकल हो गया तो यह सिर्फ गर्दन तक सीमित नहीं रहता बल्कि धीरे-धीरे आपके पूरे शरीर के दूसरे भागों को भी प्रभावित करके अपनी पकड़ में ले लेता हैं।

आइए जानते हैं गर्दन में दर्द कौन-कौन से कारणों से होता हैं? 

गर्दन में दर्द यह समस्या काफी सारे कारणों से हो सकती हैं।इसलिए इसके कारणों का पता लगाना काफी मुश्किल होता हैं।

गर्दन को गलत तरीके से रखना 

 दर्द का सबसे बड़ा प्रमुख कारण यह हैं कि गर्दन को गलत मुद्रा में रखने से होता हैं, जैसे मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना,लैपटॉप, लेटने, खाने इत्यादि की स्थितियों में होता हैं।

गलत तरीके से सोना

ऐसे में कोई व्यक्ति गलत तरीके में सोता हैं तो उसे गर्दन में दर्द की समस्या होने की संभावना काफी ज्यादा हो जाती हैं।

चोट लगना

 चोट लगना यह भी गर्दन के दर्द की वजह बन सकता हैं।ऐसे में मुख्य रूप से स्पोर्ट्स इंजरी या फिर अन्य कोई गतिविधियों को करते समय चोट लगने पर होता हैं।

हड्डियों का कमज़ोर होना

 यदि किसी भी व्यक्ति के शरीर की हड्डियाँ काफी कमज़ोर हो जाती हैं,तो उसे गर्दन में दर्द जैसी समस्या हो सकती हैं।

किसी तरह की बीमारी से पीड़ित होना

 अर्थराइटिस जैसी कई सारी बीमारियाँ भी गर्दन में चोट का कारण बन सकती हैं।

ऐसी स्थिति में आपको इन बीमारियों से पीड़ित लोगों का इलाज सही तरीके से कराना चाहिए ताकि उन्हें किसी और समस्याओं से गुजरना ना पड़े।

गर्दन में दर्द का इलाज कैसे करें?

गर्दन की एक्सरसाइज करना

गर्दन में दर्द का इलाज व्ययाम के द्वारा भी कम किया जा सकता हैं।इसके लिए आपको डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ इस दर्द से पीड़ित लोगों की गर्दन की एक्सरसाइज करने में आपकी सहायता करेंगे।

फिज्योथेरेपी करना

गर्दन के दर्द को फिज्योथेरेपी की मदद से भी ठीक किया जा सकता हैं।इस तरह की थेरेपी आपके दर्द को कम करने के साथ इससे पीड़ित लोगों को आराम दिलाने में भी सहायता कर सकती हैं।

दवाई का सेवन करना

गर्दन में ज्यादा दर्द होने के कारण डॉक्टर गर्दन में दर्द से पीड़ित लोगों को दवाई भी देते हैं।ये दवाईयां इस दर्द को कम करने के साथ-साथ फैलने से भी रोकती हैं।

स्टेरॉयड इंजेक्शन लगाना

गर्दन में ज्यादा दर्द रहने पर इसे कम करने के लिए स्टेरॉयड इंजेक्शन का भी सहारा लिया जा सकता हैं।ये इंजेक्शन गर्दन के दर्द वाली जगह पर लगाई जाती हैं,इससे पीड़ित लोगों को आराम मिलता हैं।

सर्जरी कराना 

जब गर्दन में दर्द किसी भी अन्य तरीके से ठीक नहीं हो पाता हैं,तो इसका इलाज करने का एकमात्र विकल्प सर्जरी ही हैं जो दर्द से आपको राहत दिलाएंगा।

गर्दन के दर्द को राहत दिलाने के लिए आप घर पर सेल्फ ट्रिटमेंट भी कर सकते हैं।

योगा करना

गर्दन के दर्द को  योगा के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता हैं।इसके लिए आपको संगासान, मत्यासान, सेसुबंध आसान जैसे योगासन को करना लाभकारी साबित हो सकता हैं इससे दर्द में  राहत मिल सकती हैं।

व्यायाम करना

गर्दन में दर्द के लिए आप व्यायाम भी कर सकते हैं।उसके लिए आपको दाई-बाई ओर घुमाना,गर्दन को आगे-पीछे हिलाना,गर्दन को ऊपर-नीचे हिलाना आदि एक्सराइज़ की जा सकती हैं।

गर्दन पर गर्म रेती का सेक या बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल करना।

 इस दर्द के लिए गर्म पानी, रेती या बर्फ के टुकड़े का गर्दन पर रखना और इसका इस्तेमाल करना लाभकारी साबित हो सकता हैं।ऐसा करने से गर्दन में दर्द कम हो सकता हैं।

गर्दन को धीरे-धीरे हिलाना

 गर्दन में दर्द होने पर गर्दन अकड़ जाती हैं,जिसकी वजह से उनके लिए गर्दन को हिलाना भी बहुत मुश्किल हो जाता हैं।ऐसी स्थिति में गर्दन को धीरे-धीरे हिलाना सही तरीका साबित हो सकता हैं।

कैसे तेजी से घटाय पेट की चर्बी और अपना वजन?

आप अगर मोटापे से परेशान हैं तो जब भी मोटापा बढ़ता हैं तो पेट की चर्बी भी बढ़ने लगती हैं।यह ऐसी समस्या हैं,जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग परेशान हैं और ईसेकम करना चाहते हैं। 

स्वस्थ्य विशेषज्ञ के मुताबिक ऐसा कहा गया हैं कि पेट के आसपास में जमा चर्बी को कम करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती हैं।इसलिए आपको एक सही आहार और शारीरिक गतिविधि  भी बहुत जरूरी हैं।

आज की जीवन शैली  ने लोगों के मोटापे को ज्यादा बढ़ा दिया हैं।यही वजह हैं कि आपको हर तीसरे व्यक्ति में पेट पर चर्बी दिखाई देंगी।यही कारण हैं कि वह ना केवल अपनी उम्र से ज्यादा नजर आते हैं और बल्कि उनके पेट पर जमा चर्बी उनकी पूरी व्यक्तित्व को बदल देता हैं।आमतौर पर हर व्यक्ति यही चाहता हैं कि वह फिट रहें और अपनी उम्र से कम ही नजर आए लेकिन ऐसा होता नहीं हैं।अकसर लोग ऐसी गलतियां जरूर करते हैं,जिसका उन्हें भी नहीं पता होता हैं और पेट पर चर्बी बढ़ती ही जाती हैं। ऐसे कई लोगों में पेट पर चर्बी जमा होने का कारण आनुवंशिक  भी होता हैं।ऐसे कई व्यक्ती हैं जिनका स्वस्थ्य ठिक न होने के कारण भी उनमें मोटापे की शिकायत बढ़ती जाती हैं। 

मोटापा बढ़ने के साथ सबसे बड़ी समस्या ये आती हैं कि कमर के आस-पास चर्बी बढ़नी शुरू हो जाती हैं।आपने यदि सही समय पर इसका ध्यान नहीं दिया तो इसे कम कर पाना मुश्किल हो जाता हैं। ऐसे में मोटापा बढ़ने के पीछे कई कारण होते हैं जैसे की अनियमित रूप से भोजन का सेवन करना,खाने में घी,तेल का ज्यादा इस्तेमाल,पूरे दिन एक जगह बैठे रहना,या बाहर का नाश्ता ज्यादा खाना।ऐसे कई कारण हो सकते हैं जिससे मोटापे के साथ-साथ कमर की चर्बी भी बढ़ना शुरू हो जाती हैं।आप अगर अपने पेट कि जमा चर्बी से परेशान हैं तो आपको चर्बी को कम करना होगा।जिससे आपकी कुछ ही दिनों में पेट पर जमा चर्बी पिघलने लगेंगी और आप बिल्कुल पतले हो जाएंगे।

आइए इसलिए जानते हैं कि इन आसान से उपायों के बारे में जिससे वजन को कम करें बढ़ी हुई चर्बी को भी कम करने में लाभदायक साबित हो।

पेट की चर्बी को कम करने के लिए व्यायाम करें।

दौड़ना

आपके  शरीर को चुस्त व दुरुस्त रखने के लिए भागने के फायदे हो सकते हैं। वैसे दौड़ लगाने से हृदय अच्छे से काम कर पाता हैं और इससे ज्यादा कैलोरी भी बर्न होती हैं।इससे आप धीरे-धीरे अपनी चर्बी कम कर सकते हैं।शुरुआत में कुछ मीटर ही दौड़ें और ज्यादा तेज न दौडें धीरे-धीरे दौड़ें।जब शरीर को इसकी आदत हो जाए, तो गति और समय दोनों को बड़ा सकते हैं।दौड़ना और पेट की चर्बी को कम करने के लिए यह एक आसान उपाय   हैं। 

साइकिलिंग

पेट कि चर्बी को कम करने के लिए व्यायाम के रूप में साइकिलिंग भी की जा सकती हैं।यह सबसे बेहतर व आसान कार्डियो व्यायाम हृदय के लिए माना जाता हैं।आपकी इससे पैरों, टांगों की अच्छी व्यायाम हो सकती हैं।इस के साथ ही शरीर की अतिरिक्त चर्बी व कैलोरी भी कम कि जा सकती हैं। इसलिए यहीं वजह हैं कि साइकिलिंग के फायदे में पेट की चर्बी को कम कर सकते हैं।

आधा उठाना 

पेट की चर्बी को कम करने की व्यायाम में आधा उठाना भी शामिल होते हैं।इस व्यायाम से न सिर्फ पेट की नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्से की चर्बी भी कम हो सकती हैं।यह व्यायाम आप सुबह या शाम कभी भी कर सकते हैं पांच से दस मिनट तक की जा सकती हैं।

सीढ़ियां चढ़ना और उतरना

पेट को कम करने के लिए व्यायाम के साथ सीढ़ियों को चढ़ने और उतरने से भी ज्यादा चर्बी को कम किया जा सकता हैं। उसके लिए आपको रोजाना सुबह-शाम करीब10 मिनट घर की सीढ़ियो पर चढ़ना और उतरना शुरू किया जा सकता हैं। दफ्तर जाते-आते समय गाड़ी कि जगह पैदल जाएं और लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें और पेट कि चर्बी को कम करें।यही वजह हैं जिससे आप पेट की चर्बी को कम करें।

पैदल चलना

बढ़ा हुआ पेट कम करने के लिए रोज सुबह-शाम आधा घंटा पैदल चला जा सकता हैं।इससे शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी कम हो सकती हैं।ऐसा अगर संभव हैं तो तेज कदमों से चलें।इससे बढ़ा हुआ पेट कम हो सकता हैं और यह एक आसान और सुरक्षित माना गया हैं।

पेट की चर्बी को कम करने के लिए क्या खाएं।

सूप 

पेट की चर्बी को कम करना चाहते हैं,तो सूप को जरूर पिएं।इसका रात के समय में सेवन करने से वजन कम करने में आपको मदद मिल सकती हैं।यह लाइट वेट होता हैं और इसमें अधिक कैलोरी नहीं होती हैं,जिस वजह से चर्बी को बढ़ने नहीं देता हैं।

फल 

पेट को कम करने के लिए फल का सेवन भी जरूर करे।फल शरीर का जरूरी पोषक तत्व हैं।उसके साथ ही वजन को नियंत्रित रखने में भी मदद कर सकते हैं। ऐसा माना जाता हैं कि फलों में मौजूद फाइबर वसा कम कर सकता हैं।यही वजह हैं अपनी नियमित दिनचर्या में फल को शामिल करना जरूरी हैं।

सब्जियां 

 सब्जियां आपके शरीर को स्वस्थ बनाए रखने और चर्बी को कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं,क्योंकि इनमें कम कैलोरी होती हैं।

साबुत अनाज 

 साबुत अनाज को आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।वजन को काफी हद तक  काबू में रखा जा सकता हैं।यह अनाज फाइबर से भरपूर होता हैं,यह अतिरिक्त चर्बी को कम करने में लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।

नट्स 

बादाम, काजू और अखरोट जैसे नट्स भी वजन कम करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।ऐसा कहा जाता हैं कि लंबे समय तक सीमित मात्रा में मेवे का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती हैं।इससे बार-बार खाने की इच्छा भी नियंत्रित हो सकती हैं।

बीन्स 

 पेट कम करने के लिए आप बीन्स को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। फिर चाहे हरी बीन्स हों या दाल वाली बीन्स, सभी वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।ये फाइबर में बार-बार लगने वाली भूख को कम करने और अधिक खाने की इच्छा को नियंत्रित करके वजन कम करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।

चर्बी मुक्त दूध और अन्य डेयरी उत्पाद  

आप अगर दूध पीने के शौकीन हैं,तो चर्बी मुक्त दूध   का सेवन करना भी पेट कम करने के उपाय में से एक हैं।एक शोध  के मुताबिक ऐसा बताया गया हैं कि वसा मुक्त दूध और अन्य डेयरी उत्पाद से भी पेट कम करने के उपाय हो सकते हैं।

घुलनशील फाइबर 

यह चर्बी घटाने के उपाय में घुलनशील फाइबर भी बेहतरीन तरीका हैं।इसका सेवन करने से भूख कम लगती हैं, जिससे बार-बार खाने की इच्छा नियंत्रित हो सकती हैं।इस प्रकार बढ़ते वजन पर काबू किया जा सकता हैं।

प्रोटीन युक्त भोजन 

 प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से वजन कम करने में सहायता मिल सकती हैं।प्रोटीन रिच फूड में ओट्स, चिया सिड्स, मसूर की दाल, एवोकाडो, सोया दूध आदि शामिल होते हैं।इसलिए, इसे भी पेट अंदर करने के उपाय में शामिल किया जा सकता हैं।

पेट की चर्बी को कम करने के लिए योग।

कपालभाति

पेट कि चर्बी को कम करने के लिए यह इलाज के रूप में कपालभाति योगासन को किया जा सकता हैं।ऐसा कहा जाता हैं कि इसके परिणाम जल्द ही देखने को मिलते हैं।पेट के आसपास की चर्बी के साथ ही यह नितंब की चर्बी को भी कम कर सकता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि इसे नियमित रूप से करने से कब्ज, गैस व एसिडिटी जैसी समस्याएं कम हो सकती हैं।इससे पेट की नसें मजबूत होती हैंऔर पाचन तंत्र को भी अच्छा करने में भी इसे सहायक माना जाता हैं।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

पेट की चर्बी को कम करने के लिए आप अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी कर सकते हैं।यह सबसे आसान हैं करने में,लेकिन मोटापा कम करने में यह कारगर हो सकता हैं।इसे मुख्य रूप में नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते हैं।इससे आपके शरीर में रक्त का प्रवाह ठीक हो जाता हैं।

पेट की चर्बी को कम करने लिए कुछ और टिप्स।

संतुलित मात्रा में खाना खाए

दिनभर में तीन बार भूख से अधिक खाना खाने से पेट कम नहीं होगा।पूरे दिन में  हर तीन से चार घंटे में थोड़ा-थोड़ा खाना खाया करें।इससे पाचन भी अच्छा होगा और शरीर में अतिरिक्त चर्बी भी नहीं होगी।यही वजह हैं कि संतुलित मात्रा में भोजन करना।

अधिक पानी पिएं 

 दिनभर में ज्यादा से ज्यादा गिलास पानी पीना सेहत के लिए जरूरी होता हैं।पानी तभी नहीं पीना चाहिए,जब आपको प्यास लगी हो या फिर गला सूख रहा हों।हर समय पर थोड़ा-सा पानी पीना चाहिए। पानी पीने से आपकी ओवर इटिंग की आदत कम हो सकती हैं। 

नाश्ता स्किप ना करें

जितना जरूरी आपके लिए पानी पीना होता हैं, उतना ही जरूरी नाश्ता होता हैं। कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि नाश्ता नहीं करने से वजन कम होता हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।उल्टा नाश्ता स्किप करने से भूख बढ़ती हैं और आप ज्यादा खा सकते हैं,जिससे वजन बढ़ने की समस्या पैदा हो सकती हैं।

भरपूर नींद करें

 पेट की चर्बी को कम करने के लिए भी काम करते हैं,जब व्यक्ति पूरी नींद लेता हैं।हर किसी को सात-आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। सबसे कम या ज्यादा सोना, दोनों ही वजन बढ़ाने के लिए अहम कारण हैं।ऐसा कहा भी जाता हैं कि अगर आप पूरी नींद सोते हैं,तो पाचन तंत्र अच्छे से काम करता हैं और भोजन को पचने में भी मदद मिलती हैं।

व्हाट्सएप चैट को Android से iOS में कैसे ट्रांसफर करें?

वॉट्सऐप इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए डेटा बैकअप बहुत जरूरी होता हैं। यूजर्स आमतौर पर सभी अपनी बातें और डेटा का बैकअप जरूर रखते हैं,लेकिन यूजर्स के सामने समस्या तब आती हैं जब यूजर ऐंड्रॉयड से iOS में शिफ्ट करते हैं। ऐसे में यूजर्स के चैट बैकअप करने में समस्या आती हैं। 

वॉट्सऐप चैट को एक प्रचालन तंत्र से दूसरे प्रचालन तंत्र वाले डिवाइस पर शिफ्ट करने में समस्या आती हैं। ऐंड्रॉयड और आईफोन के साथ भी ऐसा ही होता हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह हैं गूगल बैकअप का iOS डिवाइस और आईक्लाउड का ऐंड्रॉयड डिवाइस को सपॉर्ट ना करना।आपको यहां कुछ ऐसे तरीके या ट्रिक बता रहें है जिससे आप OS शिफ्ट करने की स्थिति में भी आप अपनी चैट सेव कर सकते हैं।

चैट को ईमेल कैसे करें?

  • वॉट्सऐप चैट को ईमेल करना सबसे आसान हैं।यह एक ऐसा फीचर हैं जिससे आप पूरी चैट को ईमेल पर सेव भी कर सकते हैं।
  • आपको अपनी चैट को ईमेल के ड्राफ्ट में सेव करनी होगी । 
  • उसके बाद आपको सबसे पहले वॉट्सऐप की सेटिंग में जाना होगा।
  • सेटिंग में जाने के बाद दिए गए चैट हिस्ट्री में जाकर ईमेल चैट ऑप्शन में जाएं। 
  • वहां टारगेट में जाकर चैट को सिलेक्ट करें।

वॉट्सऐप मेसेंजर में नहीं सेव होगी आपकि चैट!

  • आपको अब अपने नए स्मार्टफोन पर ईमेल को ओपन करना होगा।
  •  आपको ईमेल के ड्राफ्ट में सेव किया गया चैट दिखाई देगा। 
  • आपको बता देंते हैं कि इस ट्रिक से चैट आपके वॉट्सऐप मेसेंजर ऐप पर ट्राँसफर नहीं होगी। 
  • आपको इसका फायदा बस यह हैं कि पुराने चैट ईमेल में सेव रहेंगी और जरूरत पड़ने पर मेल अकाउंट में जाकर आप ऐक्सेस कर सकेंगे।

व्हाट्सएप में Invisible मोड को  ऐकटिव कैसे करें।

व्हाट्सएप एक ऐसा उपयोग हैं जिसे  सबसे अधिक डाउनलोड किया जाता हैं। इसमें ऐसे कई प्रकार के कार्य भी किए जाते हैं जो दिन-प्रतिदिन के आधार पर बहुत उपयोगी होते हैं।लेकिन इस एप के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐप में पूरी तरह से किसी का ध्यान कैसे नहीं जाता हैं ताकि किसी को पता न चले कि आप इंटरनेट के सीधे संचार संपर्क में हैं या नहीं।

 आपको जानकारी प्राप्त करने के लिए ऐप के कुछ कार्यों को निष्क्रिय और सक्रिय करना होगा जो अब मार्क जुकरबर्ग के मेटा से संबंधित हैं ।लेकिन व्हाट्सएप पर निंजा मोड या Invisible मोड प्राप्त करने के लिए आपको कुछ चीजों को छोड़ना होगा ।

व्हाट्सएप में Invisible मोड को कैसे ऐकटिव करें।

अदृश्य या Invisible नाम

  • उसके लिए आपको अस्त पर जाना  होगा।
  • फिर आप अपनी प्रोफाइल फोटो पर क्लिक करें ।
  • वहां पर आपका नाम दिखाई देगा।
  • उस संपर्क को वहां लिखें और पारदर्शी इमोजी को कॉपी करें।
  • फिर उसे अपने नाम और वॉइला के स्थान पर पेस्ट करें।
  • उसी क्षण से कोई भी और आपका नाम नहीं देखेगा और वह अदृश्य दिखाई देगा।

रिक्त राज्य

  • व्हाट्सएप के प्रोफाइल के नाम से  सेटिंग्स पर दर्ज करें ।
  • आपको वहां पर अपनी प्रोफाइल फोटो में जाना होगा ।
  • अपनी इमेज पर क्लिक करें और आप अनुभाग जानकारी देखेंगे ।
  • आमतौर पर इसे उपलब्ध की स्थिति के साथ पाया जाता हैं ।
  • फिर इस लिंक को एंटर करों और अब ब्लैंक टेक्स्ट को कॉपी करें।
  • आप इसे फिर अपने नए राज्य वॉइला में पेस्ट करें फिर सब कुछ खाली हो जाएगा।

व्हाट्सएप पर अदृश्य टेक्स्ट या संदेश को कैसे भेजें।

ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने व्हाट्सएप लॉन्च किया हैं और साथ हि नए विशेषताएं की तलाश यूजर्स को होती हैं।इसमें सबसे अच्छी बात यह हैं कि इसे अपने मोबाइल युक्ति पर रखने के लिए आपको कोई आवेदन स्थापित करने की जरूरत नहीं हैं।

व्हाट्सएप में अदृश्य या Invisible टेक्स्ट में आप किसी के चेक को कोपी करने की ख़ासियत होती हैं, फिर बस उसकी सामग्री पूरी तरह से खाली होती हैं।आपको इसे प्राप्त करने के लिए यूनिकोड कीबोर्ड का सहारा लेना बहुत जरूरी हैं। 

यहां आपको सभी स्टेप्स दिखाते हैं।

  • आपको सबसे पहले व्हाट्सएप में जाना होगा ।
  • आप वहां उस बातचीत का चयन करें जहां आप अदृश्य या Invisible पाठ भेजना चाहते हैं ।
  •  यह हो जाने के बाद यूनिकोड वेबसाइट पर जाएं या उस लिंक को दर्ज करें ।
  • यह वर्ण U + 2800 हैं जिसमें एक अदृश्य पाठ हैं।
  • आपको इसी तरह व्हाट्सएप में अदृश्य टेक्स्ट को सक्रिय करने की स्थिति में आपके सभी संदेश दिखाई देंगे। 
  • अब  वहां बॉक्स हैं उसमें जो हैं उसे कॉपी और पेस्ट करें ।
  • अगर आप इसे कई बार पेस्ट करते हैं, तो अदृश्य टेक्स्ट बढ़ जाएगा।
  • इसके साथ हि आप हमेशा इमोजी या व्हाट्सएप पर स्पष्टीकरण देना कभी न भूलें।

शिमला के जाखू हिल के बारे में !

जाखू मंदिर हिमाचल प्रदेश के राज्य में शिमला में स्थित एक प्रमुख मंदिर हैं।यह मंदिर जाखू पहाड़ी पर स्थित हैं।यह मंदिर शिवालिक पहाड़ी श्रृंखलाओं की हरी-भरी पृष्ठभूमि के बीच में हैं।यह शिमला का सबसे ऊँचा स्थल हैं।जाखू मंदिर प्राचीन स्थानों में से एक हैं और इसका उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में किया गया हैं।यह पर्यटकों के लिए एक रहस्यमयी दृश्य प्रदान करता हैं।

जाखू मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित किया गया हैं।यह स्थल शिमला में देखे जाने वाले मंदिरों में से एक हैं।जो  तीर्थयात्रियों और भक्तों के साथ हर उम्र और धर्मों के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता हैं।

इस मंदिर में हनुमान जी की एक बड़ी प्रतिमा हैं।जो शिमला के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देती हैं।यह मंदिर शिमला में रिज से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।यह मूर्ति देश की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक हैं।जो 33 मीटर108 फीट ऊंची हैं।इस मूर्ति के सामने आसपास लगे बड़े-बड़े पेड़ भी बौने लगते हैं।इस मंदिर के बारे में पौराणिक कथा हैं कि लक्षमण को पुनर्जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी खोजने के लिए जाने से पहले भगवान हनुमान कुछ देर आराम करने के लिए इस मंदिर वाले स्थान पर रुके हुए थे। 

जाखू मंदिर का प्रवेश शुल्क

जाखू मंदिर के दर्शन पूरी तरह मुफ़्त हैं।

मंदिर के खुलने का समय

जाखू मंदिर के दर्शन सुबह 5 से दिन के 12 बजे तक और  शाम को 4 से रात के 9 बजे तक हैं।

जाखू मंदिर में घूमने के लिए समय 

जाखू मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको लगभग एक से दो घंटा लग सकता हैं।

जाखू मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय। 

शिमला में इतना शानदार मौसम रहता हैं आप वर्ष में कभी भी घूमने के लिए जा सकते हों और यह एक शानदार पर्यटन स्थल हैं।शिमला में मार्च से जून के बीच गर्मी के महीनों में 20 डिग्री सेल्सियस का  तापमान रहता हैं।वहां जुलाई के दौरान  उसके बाद वहां बारिश का मौसम और भारी बारिश के कारण यात्रा करना असुविधाजनक हो सकता हैं। फिर आप सितंबर से लेकर जनवरी तक सर्दियों के महीने सुखद और शांत होते हैं।ऐसे मौसम में कभी-कभी बर्फ की बौछारों के साथ  ठंडी भी ज्यादा हो सकती हैं।

जाखू मंदिर में दशहरा समारोह भी मनाया जाता हैं।

हिंदू महाकाव्य रामायण में भगवान हनुमान के वीरतापूर्ण पराक्रम को याद रखते हुए मनाया जाता हैं।जाखू मंदिर में दशहरे विजयदशमी का त्योहार अक्टूबर से सितंबर के महीने में बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं।दशहरा राजा रावण पर भगवान राम को विजय के रूप में मनाया जाता हैं।

सर्दियों में दिल के स्वास्थ्य में सुधार के लिए अपनाएं ये कुछ आदतें।

सर्दियों का मौसम दिल के रोगियों के लिए काफी खतरनाक माना जाता हैं।इस मौसम में शरीर में मौजूद खून की थिकनेस बढ़ जाती हैं और पारा गिरने के कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं।जिससे दिल में रक्त का प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाता हैं।

चिकित्सकों के अनुसार ऐसा कहा गया हैं कि सर्दी में कई बार आपके शरीर को आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के हिसाब से शरीर में पर्याप्त मात्रा में खून पंप नहीं हो पाता हैं, इस वजह से इनका दिल पहले से कमजोर हो जाता हैं।उन मरीजों को सांस लेने की तकलीफ हो जाती हैं।ठंड के मौसम में तापमान कम हो जाता हैं।यह कारण हैं जिसे ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं।इससे शरीर में खून का संचार अवरोधित होता हैं।इससे हृदय तक ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती हैं। हृदय को शरीर में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अतिरिक्त श्रम करना पड़ता हैं।सर्दियों के मौसम में,धुंध और प्रदूषक जमीन के और करीब आकर बैठ जाते हैं।जिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैं और सांस लेने में परेशानी होती हैं।ऐसे में हार्ट के मरीजों को इससे बहुत परशानी होती हैं।

ठंड के दिनों में पसीना नहीं आता हैं।इसकी वजह यह हैं कि इंसान का शरीर अतिरिक्त पानी नहीं निकाल पाता हैं और उसकी वजह यह हैं कि फेफड़ों में पानी जमा हो जाता हैं, तो ऐसे में भी हार्ट फेल हो सकता हैं।डाॅक्टर का मानना हैं कि सूरज की रोशनी में विटामिन-डी होता हैं यदि आप धूप नहीं लेते हैं, तो हृदय में  टिशूज ज्यादा बनने लगते हैं, जो हृदय के लिए अच्छे नहीं होते हैं। सर्दि  के दिनों में संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता हैं और दिल के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होने लगती हैं।

 ।खासतौर पर हार्ट फेल मरीज सांस लेने में तकलीफ का अनुभव करते हैं और प्रदूषक लक्षणों को और भी गंभीर बना देते हैं,जिसकी वजह से गंभीर मामलो में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता हैं।

सर्दियों के मौसम में कैसे रखें अपने हृदय का ख्याल।

पोटेशियम युक्त फल और हरी सब्जियों का सेवन करें।

सर्दियों में आपके हृदय के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए पोटेशियम बहुत लाभकारी होता हैं।पोटेशियम युक्त फल और सब्जियां जैसे खट्टे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां आपके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में आपकी सहायता करती हैं।इनका सेवन करने से आपको फाइबर भी मिलता हैं जो कि कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता हैं।इससे हृदय संबंधी रोग का जोखिम कम करने में आपको मदद मिल सकती हैं।

ड्राय फ्रूट्स और नट्स का करें सेवन करें।

बीएमजे ओपन जर्नल के एक अध्ययन के अनुसार ऐसा बताया गया हैं कि ड्राय फ्रूट्स और नट्स हृदय संबधी रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार साबित होता हैं।ये न सिर्फ आपके रक्त में से वसा को संतुलित बनाए रखने में आपकी मदद करता हैं,बल्कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती हैं।ड्राय फ्रूट्स और नट्स में मैग्नीशियम, विटामिन-ई,फाइबर और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा मौजूद होती हैं।जो आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं।

भले ही आपको कोई मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्या न हो, मोटापा लगभग सभी दिल की बीमारियों के जोखिम कारकों को प्रभावित करता हैं।इसलिए अगर आपको अपने हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना है तो अपने वजन को नियंत्रित रखना जरूरी हैं।

अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन ना करें।

शराब और धूम्रपान कि वजह से आपका ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो सकता हैं। आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर जोखिम कारक साबित हो सकता हैं। ऐसा भी बताया गया है कि अल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन करने से आपका वजन बढ़ जाता हैं।जो आपके हृदय कि संबंधी समस्याओं का प्रमुख जोखिम कारक हैं।

नियमित योगाभ्‍यास करें

योग आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता हैं।दिल से संबंधी रोगों के जोखिम को कम करने में योग का कारगर उपाय हैं।हार्वर्ड मेड़िकल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा माना जाता हैं कि योग करने से आपको ब्लड प्रेशर को नियंत्रित ऱखने में मदद मिलती हैं।आपको साथ ही योग से हृदय की आर्टरी में रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाने में मदद मिलती हैं।आपको इसके अलावा योग से अवसाद और चिंता जैसे मानसिक विकारों से राहत पाने में भी सहायता मिलती हैं।इससे हार्ट रेट सामान्य रहता हैं।

वजन को बढ़ने न दें।

वजन बढ़ना आपके दिल के लिए बहुत नुकसानदायक  साबित हो सकता हैं। द लैंसेट डायबिटीज़ एंड इंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार मोटापा हृदय संबंधी समस्याओं के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं।

आपको भले ही कोई मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्या न हो तो मोटापा लगभग सभी दिल की बीमारियों के जोखिम कारकों को प्रभावित करता हैं।इसलिए आपको अगर अपने हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना हैं तो अपने वजन को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी हैं।

एक्सरसाइज क्यों जरूरी हैं।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल सर्कुलेशन के अनुसार एक गतिहीन या निष्क्रिय जीवन शैली लगातार हृदय रोग के लिए शीर्ष पांच जोखिम कारकों में से एक रही है। जिन लोगों की शारीरिक फिटनेस कमजोर होती है वे हार्ट अटैक जैसी गंभीर हृदय संबंधी समस्याओं का अनुभव करते हैं। इसलिए एक्सरसाइज करना आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि ये न सिर्फ आपको फिट रहने में मदद करता है, बल्कि आपके हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को भी कम करता हैं।

ठंड में एक्सपोजर से बचें।

दिल की सेहत बनाए रखने के लिए आपको हमेशा गर्म और आरामदायक कपड़े पहनने चाहिए।अन्यथा आपकी रक्त कि वाहिकाएं संकुचित हो जाएंगी। अधिक ठंड होने पर सुबह जल्दी और सूर्यास्त के बाद बाहर जाने से भी बचें। दिन के समय में कुछ देर सूरज की धूप लें।रूम हीटर को चालू रखें और अपने कमरे में वेंटिलेशन भी जरूर बनाए रखें।

व्हाट्सएप ऐप के नए फिचर एंड्रॉयड यूजर्स के लिए।

आज कि दुनिया में सबसे ज्यादा लोग सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं।लेकिन उन  एप्स में से सबसे ज्यादा वॉट्सएप का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।वॉट्सएप भारत ही नहीं पूरे विश्व की सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली मैसेजिंग ऐप हैं।वॉट्सएप की कंपनी, ऐप में कुछ समय से काफी सारे बदलाव कर रही हैं।

व्हाट्सएप ऐप में कुछ नई सुविधाएं हैं जिससे जुड़ने कि योजना बना रहे हैं,और इस बार ये फीचर वॉयस वीडियो कॉल या वॉयस नोट्स पर केंद्रित नहीं हैं,लेकिन फोटो से जुड़ा हैं।व्हाट्सएप ऐप यूजर्स को ऐप में ही इमेज को भेजने से पहले एडिट करने के लिए कई तरह के ऑप्शन दिए जाएंगे,आपको ऐसे में कोई थर्ड पार्टी या कोई और ऐप से फोटो को एडिट कर के उसे भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा बताया गया हैं कि लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म बिल्ट-इन मीडिया एडिटर में दो नई पेंसिल जुड़ रही हैं WABetaInfo। इसका मतलब यह हैं कि व्हाट्सएप ऐप में जल्द ही तीन पेंसिल आ सकती हैं।लेकिन यूजर्स द्वारा भेजे जाने से पहले ही इमेजेस और स्क्रीनशॉट पर पेंट करने के लिए एक पेंसिल थी,अब तक केवल रंग की पेशकश की गई थी।अब यूजर्स तीन आकारों के बीच भी चुनने का काम कर सकते हैं।

लेकिन जल्द यूजर्स को तीन साइज़ की पेंसिल मिलेगी जो यूजर्स की फोटो और स्क्रीनशॉट एडिटिंग में मदद करेंगी।

आइए जानते हैं नई फिचर एंड्रॉयड यूजर्स के लिए।

ब्लर फीचर

व्हाट्सएप ऐप अपने प्लेटफॉर्म पर एक नया ब्लर फीचर लाने के लिए भी तैयारी कर रहा हैं।जो यूजर्स को फोटो भेजने से पहले उसके कुछ हिस्सों को ब्लर करने में आपकी मदद करेंगा।यह फीचर यूजर्स के लिए बहुत काम का हो सकता हैं।अगर कोई यूजर डेटा के साथ बहुत सारे स्क्रीनशॉट भेजते हैं तो यह बहुत उपयोगी हो सकता हैं।इस फीचर की सहायता से आप भेजते समय ही फोटो में किसी चीज को ब्लर कर सकेंगे।

उदाहरण के लिए,आप कि किसी चैट के उस हिस्से को क्रॉप नहीं कर सकते जो बातचीत के बीच में हैं।यूजर्स को अभी तक इसके लिए थर्ड पार्टी के मीडिया ऐप का सहारा लेना पड़ता हैं।लेकिन,यह जल्द ही अब खत्म हो सकता हैं।यह दोनों फीचर्स अभी व्हाट्सऐप पर उपलब्ध नहीं हैं।लेकिन हमेशा कि तरह,आईओएस और एंड्रॉयड के व्हाट्सऐप बीटा वर्जन में सबसे पहले ये फीचर आने की उम्मीद हैं।

चैट बबल की डिजाइन में कुछ बदलाव। 

वेबबिटाइनफो कंपनी प्लान नई फिचर व्हाट्सएप बिटा वर्जन। ऐसा बताया जा रहा हैं कि वॉट्स एप अपने चैट बबल्स की डिजाइन को बदल रहा हैं।अब वॉट्स एप पर चैट बबल बड़े आकार में गोल और हरें रंग के होंगे।उसके साथ ही,इनमें लाइट और डार्क मोड की सुविधा भी दि जा रही हैं।इस फीचर को एंड्रॉयड यूजर्स के लिए टेस्ट किया जा रहा हैं। 

वॉयस मैसेज को मिंलेगा नया इंटरफेस

वॉट्सएप के यूजर्स को काफी समय से इंतजार था नये बदलाव का जो वॉयस मैसेज में किए जा रहें हैं।एक नये इंटरफेस की वजह से यूजर अब वॉयस मैसेज भेजने से पहले उसे सुन पाएंगे और उन्हें भी डिलीट कर सकेंगे।

कॉन्टैक्ट कार्ड्स दिखेंगे सबसे अलग 

नए अपडेट में वॉट्सएप पर जो भी कॉन्टैक्ट्स हैं,उनकी जानकारी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इन्फो बटन अब कॉन्टैक्ट के नाम के बगल में शिफ्ट किया जा रहा हैं और प्रोफाइल फोटो अब एक स्क्वेयर बॉक्स में नहीं दिखेगा। 

मैसेज रिएक्शन्स 

अब इंस्टाग्राम और फेसबुक की तरह  यूजर्स वॉट्सएप पर भी मैसेज को लॉन्ग-प्रेस करके उनपर इमोजी से रीएक्ट आप कर सकेंगे।आपको इमोजी की लिस्ट मैसेज के बिल्कुल नीचे दिखाई देंगे।आपका या सामने वाले इंसान का एप अपडेटेड नहीं हैं तो वॉट्सएप अपडेट की सूचना देंगा।आपको अगर मैसेज रिएक्शन फीचर यूज करना हैं या देखना हैं,तो ऐप को अपडेट करना बहुत जरूरी हैं। 

फोटो एडिटिंग टूल्स

‘ड्रॉइंग टूल्स’ नाम से एक नया अपडेट यूजर्स देखने को मिलेंगा और  तस्वीरों को एडिट करने में आपकी सहायता करेंगा।आप इन एडिटेड तस्वीरों पर स्टिकर भी ऐड कर सकेंगे‌।

पेमेंट शॉर्टकट 

नए अपडेट खास एंड्रॉयड यूजर्स के लिए हो सकता हैं।वॉट्सएप के पेमेंट का ऑप्शन शॉर्टकट चैट बार में भी देख सकते हैं।ये शॉर्टकट एक अडिश्नल फीचर हैं और पेमेंट ऑप्शन को नहीं बदला जाएगा। 

वॉट्स एप के अपडेट्स में काफी सारे ऐसे नए फीचर हैं जिनका इंतजार यूजर्स काफी समय से कर रहे हैं।उनमें से कई सारे अपडेट्स किए जा रहे और कुछ ऐसे भी हैं जो फिलहाल टेस्टिंग फेज में हैं।

जानिए सूरत के डच गार्डन के बारे में।

सूरत में डच गार्डन सबसे प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं।डच गार्डन सूरत के नानपुरा में स्थित हैं।इस पार्क की अद्भुत सुंदरता के अतिरिक्त इसका इतिहास भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।ये उद्यान एक यूरोपीय शैली में डिजाइन किया गया हैं।

यहां बगीचे के किनारे पर बहने वाली तापी नदी शाम और सुबह की सैर का आनंद लेने के लिए आकर्षक हैं।

वैसे तो अतीत में, डच गार्डन अंग्रेजी और डच लोगों के लिए एक आरामगाह के रूप में कार्य करता था जहां वे रहते थे। 

इस उद्यान का इतिहास बहुत दिलचस्प हैं।स्वतंत्रता से पहले,कई अंग्रेजी और डच यात्री सूरत आए थे और व्यापार स्थापित किया था।एक बड़ी जगह में उन्होंने अपने व्यवसाय को सेटल किया और वो स्थान हैं जिसे आजकल डच गार्डन के रूप से भी जाना जाता हैं।

इस बगीचे में अंग्रेजी और डच कब्रिस्तान हैं।इसमें विशाल मकबरे,विशाल गैलरी और सुंदर स्तंभ हैं।यह शानदार स्तंभ उस शक्ति और महिमा को दर्शाते हैं,जो अंग्रेज और डच भारत लाए थे।डच व्यापारि के सम्मान में बगीचे को श्मशान घाट के रूप में स्थापित किया गया हैं।आप जगह के शांत वातावरण में भी टहल सकते हैं और शांति से आराम करने वाली आत्माओं कि प्रार्थना कर सकते हैं।

डच गार्डन जाने का सबसे अच्छा समय

यहां जलवायु और सागर द्वारा प्रमुखता से संचालित किया जाता हैं।यहां शहर में  प्रचुर मात्रा में वर्षा होती हैं।वैसे डच उद्यान का दौरा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मार्च के महीनों के बीच होता हैं।

सूरत के डच गार्डन जाने का समय

डच गार्डन जाने का समय

  • सुबह 8:00 से 12:00 बजे तक
  • दिन में 3:00 से 11:00 बजे तक।

डच गार्डन सूरत एंट्री शुल्क:

  • वहां कोई शुल्क नहीं हैं।

डच गार्डन के पास घूमने की जगह।

महादेव मंदिर

आपकी सूरत की यात्रा और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करना सबसे अच्छा विचार हैं।गल्तेश्वर महादेव मंदिर जो लोकप्रिय मंदिरों में से एक हैं।आप वहां बारह ज्योतिर्लिंगों में श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।इस मंदिर को लाल पत्थरों से खूबसूरती से तराशा गया हैं।तापी नदी के तट पर स्थित हैं।नदी के उथले पानी में आप डुबकी लगा सकते हैं।

  • समय: सुबह 6:00 से शाम 8:00 बजे तक।
  • प्रवेश शुल्क: INR 50

सारनाथ राष्ट्रीय उद्यान

परिवार के साथ एक अच्छा वक्त बिताने के लिए एक शानदार जगह जो प्रकृति और वन्य जीवन के साथ खिलना जो सूरत में हैं सारनाथ राष्ट्रीय उद्यान। वहां पर असाधारण वास्तुकला,अभिनव लेआउट और रंगीन परिदृश्य आपकोआश्चर्यचकित करते हैं। 

  • समय: सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: 12 वर्ष से अधिक आयु के लिए।

पुराना किला

मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा निर्मित किए इस किले ने पुरुषों को भीलों के क्रूर हमले से बचाया हैं।इस किले में मजबूत दीवारों और लोहे की सलाखों के साथ एक प्रभावशाली वास्तुकला भी हैं।इस प्राचीन शहर के इतिहास में तल्लीनता और इसके लिए भव्य किले शहर के केंद्र में एक विशेष स्थान रखता हैं।

  • समय: सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
  • प्रवेश शुल्क: कोई शुल्क नहीं हैं।